कभी न ठहरे ,
अनगिनत अंधे दौड़ से निकलकर
सुनने या समझने
ये सांसें अपनी।
कभी न किया ग़ौर
बात सिर्फ थी इतनी
जीवन का आधार है
ये सांसें अपनी।
कभी न देखा इसे,
केवल किया महसूस,
ये सांसें अपनी।
कभी न मिली अहमियत इसे,
जब तक ये हुई न आख़िरी,
ये सांसें अपनी।
अनगिनत अंधे दौड़ से निकलकर
सुनने या समझने
ये सांसें अपनी।
कभी न किया ग़ौर
बात सिर्फ थी इतनी
जीवन का आधार है
ये सांसें अपनी।
कभी न देखा इसे,
केवल किया महसूस,
ये सांसें अपनी।
कभी न मिली अहमियत इसे,
जब तक ये हुई न आख़िरी,
ये सांसें अपनी।
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