Tuesday 11 July 2017

कल किसने देखा है ?

    क्यों न आज बेहतर कर  लें ?
सबसे ज़रा हंस बोल लें।
झगड़े लड़ाई करना क्यों है ,
इससे क्या हासिल होना है?
आज, अभी यही सत्य है
कल किसने देखा है ?

मुंह फुला कर बैठे क्यों ?
हँसी के ठहाके जब लग सकते हैं ,
 ख़ुशी प्रेम  से रह सकते हैं ,
दूसरों से जलना क्यों?
सब अपनी राह  पर ही चलते हैं।
आज, अभी यही सत्य है ,
कल किसने देखा है ?

मोह माया का यह बंधन
जिसे कहते हैं हम जीवन,
बड़ा सरल है , बड़ा कठिन है,
अपनी आँखों पर निर्भर है ,
आज अभी यही सत्य है,
कल  किसने देखा है ?

Monday 10 July 2017

कुछ बात तो है ज़रूर सावन में
की बादलों की मोटी चादर सी
आसमान ने चारों तरफ़ से ओढा है .
इससे पहले तो कभी यहाँ तो कभी वहाँ
यूँ ही बिखरे रहते थे.
बादलों को भी पता है कि
जो बात है वो सावन ही तो है .

सुबा सुबह यूँ आंख खुली
बून्दों की रिम झिम आहट से,
बूँदें अब कुछ ज़्यादा गिरिं
इंन काली घटा के गर्भ से
साथ दिया इनका
बिजलियो की कड़कियों ने
कुछ बात तो ज़रूर सावन में।

Sunday 9 July 2017

समन्दर की एक लहर आयी और
बहा कर ले गयी सभी पुरानी यादों को .

Saturday 8 July 2017

अफ़सोस उस रोज़ चाँद न होगा
जब हम साथ होंगे
शायद उसे हमारा मिल्ना पसंद नही.

 The last time, in a very long time,  I was filled with awe,  was when I witnessed pure joy. The innocent cry  of a four years old  calling ...