Tuesday, 11 July 2017

कल किसने देखा है ?

    क्यों न आज बेहतर कर  लें ?
सबसे ज़रा हंस बोल लें।
झगड़े लड़ाई करना क्यों है ,
इससे क्या हासिल होना है?
आज, अभी यही सत्य है
कल किसने देखा है ?

मुंह फुला कर बैठे क्यों ?
हँसी के ठहाके जब लग सकते हैं ,
 ख़ुशी प्रेम  से रह सकते हैं ,
दूसरों से जलना क्यों?
सब अपनी राह  पर ही चलते हैं।
आज, अभी यही सत्य है ,
कल किसने देखा है ?

मोह माया का यह बंधन
जिसे कहते हैं हम जीवन,
बड़ा सरल है , बड़ा कठिन है,
अपनी आँखों पर निर्भर है ,
आज अभी यही सत्य है,
कल  किसने देखा है ?

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