Tuesday 23 May 2017

In the midst of the roaring waves
Finally
she found her place.

Wednesday 17 May 2017

फ्लाइंग स्क्वाड का हमला

उड़ते उड़ते ये पहुँच जाते हैं जहाँ भी हो रही हो परीक्षा।  एक आध चोर तो पकड़ेंगे ही आज, लिए यह उद्देश्य उड़ता हुआ पहुंचा यह फ्लाइंग स्क्वॉड हमारे कमरे में।  फ्लाइंग स्क्वाड की बाज़ की नज़र आज किसी का शिकार तो ज़रूर करेंगी।  कमरे में घुसते ही माना कहीं कोई धुन बजने लगी।  पिंक पैंथर याद है क्या आपको ? इंस्पेक्टर क्लूज़ो जब कोई केस हल करने जाते हैं, और एक धुन बजती है , बिलकुल वैसी ही धुन।  सबको मालूम हो गया था की अब फ्लाइंग स्क्वाड कमरे में पहुँच चुकी थी।  आतंकियों को मार गिराने के लिए निडरता पूर्वक ये फ्लाइंग स्क्वाड आगे बढ़ते जा रहे थे। जनाब , ये भूलियेगा मत की हम परीक्षा कक्ष में बैठे हैं।  घबराइए नहीं।  इन आतंकियों के पास AK ४७ नहीं है , होंगे तो बस कुछ नोट्स , कुछ चिट्स या अपनी हथेलियों के पर्चे।  क्या फ्लाइंग स्क्वाड की निडरता रंग लाई ? जान ने के लिए मत पढ़िए इस्सके अगला अंक।  

Monday 8 May 2017

अभी कल ही की तो बात थी
जब स्कूल जाने की ज़िद्द ने 
पीलिया ग्रसित कर दिया था,
कल ही शायद पेंसिल और फिर 
कलम से लिखने की 
उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,
फिर यह  भी कल ही की बात थी 
कि अगले रोज़ स्कूल 
जाने की इच्छा ही ख़त्म हो गयी,
माँ पिताजी परेशान कि  हुआ क्या?
किसी ने कुछ कहा क्या?
नहीं बस यूँही मन नहीं हो रहा। 
फिर विश्वविद्यालय के दरवाज़े 
तक भी पहुँच ही गए। 
विदेशी भाषा के विद्यार्थी बन गए। 
कल ही की बात है कि 
उस क्लासमेट को देख कर गुस्सा आया 
जिसने स्पोर्ट्स कोटे में एडमिशन पाया,
कोई बात नहीं ऐसा खुद को  समझाया 
जब फ्रांस जाने की बारी आयी,
क्या कॉमर्स पढ़कर उस वक़्त 
जा पाती विदेश? नहीं, कत्तई नहीं। 
सात महीने गुज़ारे एक नई सी दुनिया में 
और कई बदलाव भी आये,
शायद कल ही की बात है 
कि शोध करने में व्यस्त हुए,
थीसिस जमा करके अब 
बेरोज़गार भी बने रहे। 
और एक दिन फिर वाइवा भी हो गया 
अब तो डॉक्टर भी बन गए। 
बचपन की वह चाह स्कूल जाने की 
दीदी लोग और भैया को देखकर किताबें  पढ़ने की 
शायद कल ही की तो बात थी। 
और आज भी इतना है पढ़ने को 
समझ से परे है की शुरू कहाँ से करें 
और अंत तो कभी आएगा ही नहीं।  

 The last time, in a very long time,  I was filled with awe,  was when I witnessed pure joy. The innocent cry  of a four years old  calling ...